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18:52, 30 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>गौरी दुलहा के आजु परीछू सखिया
बसहा चढ़ल शिव डामरु बजाबे, मुखमे ने दांत एको सखिया
गोरी दुलहा .....
तीन नयन भाल चन्द्र बिराजय, जटा मे गंगा बहय सखिया
गोरी दुलहा .....
मस्तक मौर सांप केर शोभिन, ओढ़थि बघम्बर छाल सखिया
गोरी दुलहा .....
</poem>