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07:05, 1 जुलाई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
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<poem>
देहरि के छेकाइ पहिने चुकाउ
हे रघुवंशी लाला
कोबर घर सोझे नहि जाउ
हे रघुवंशी लाला
हमरा भैया सँ अपन बहिनी बियाहू
हे रघुवंशी लाला
अयोध्या सँ शान्ती के मंगाउ
हे रघुवंशी लाला
हमरा कका जी के दियनु अपन मइया
हे रघुवंशी लाला
दुनू घर गुजर कराउ
हे रघुवंशी लाला
गाबथि सखि सभ कोबर छेकाइ
हे रघुवंशी लाला
उजड़ल घर भइया के बसाउ
हे रघुवंशी लाला
</poem>
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