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16:11, 22 जुलाई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दीनदयाल शर्मा
}}{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyGandhi}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>छटपट-छटपट वर्षा होती,
खटपट-खटपट गिरते ओले।
गली-गली और हर चौराहे,
उधम मचाते बच्चे डोले।
हा-हा हू-हू ही-ही करते,
बच्चों ने मारी किलकारी।
दूर-दूर तक महकी जैसे,
भाँत-भँतीली खुशबू प्यारी।
वर्षा हुई बंद तो देखा,
इन्द्रधनुष था नभ में प्यारा।
सतरंगी जादू सा लगता,
सबको भाया सबसे न्यारा।।
</poem>