Changes

रात का गीत / रमेश रंजक

9 bytes removed, 17:29, 20 अगस्त 2014
घिरने लगे नींद के बादल
दुखने लगा आँख का काजल
शाम सो गई है ।
अब तो रात हो गई है ।।
दीख रही अब ऐसी काली
खिड़की नहीं रही जैसे --
दवात हो गई है ।
अब तो रात हो गई है ।।
फिर से होने लगे पनीले
घर-बाहर जैसे हल्की --
बरसात हो गई है ।
अब तो रात हो गई है ।।
तम से लड़ते हिम्मत वाले
वीरों की उजली सेना --
तैनात हो गई है ।
अब तो रात हो गई है ।।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,726
edits