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04:18, 1 सितम्बर 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=आशुतोष दुबे
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
स्कूल के बच्चे की तरह
सबसे पिछली बैंच पर बैठा मैं
अपनी बेजारी और ऊब से जूझते हुए
लम्बी घंटी के इंतज़ार में हूँ
</poem>
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