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इंतज़ार / आशुतोष दुबे
Kavita Kosh से
स्कूल के बच्चे की तरह
सबसे पिछली बैंच पर बैठा मैं
अपनी बेजारी और ऊब से जूझते हुए
लम्बी घंटी के इंतज़ार में हूँ