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मैं बज़्म-ए-तसव्वुर में उसे लाए / अनवर शऊर
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08:38, 18 मार्च 2015
जिस शख़्स को जी जान से अपनाए हुए था
बैठे थे '
शुऊर
शऊर
' आज मेरे पास वो गुम-सुम
मैं खोए हुए था न उन्हें पाए हुए था
Dhirendra Asthana
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