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13:12, 20 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
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<poem>
निदरिया तोही बेची जो कोउ गाहक होउ
साजन आये लौटि गे काहे ना जगाये मोहि
निदरिया हम लेबइ जो तुम्हें बेचन होय
करा मोल निदरी कै जो तुम्हें बेचन होय
</poem>