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अरे उअत जोन्हैया बुड़त शुकवा / बघेली
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अरे उअत जोन्हैया बुड़त शुकवा तुम्हें बउली बोलायउं
तुम्हें बउली बोलायउं न आयो मितवा- तुम्हें बउली बोलायउं
</poem>
Dhirendra Asthana
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