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13:22, 20 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
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<poem>
जोगिनि लट धोइ डारा हो तोरे जूड़ा बसै कारे नाग
कर कांपे कि लिखनी डुगे कि अंग अंग फहरायं
सुधि आवत छाती फटै कि लिखि पाती ना जाय
जोगिनि लट धोइ डारा हो तोरे जूड़ा बसै कारे नाग
</poem>