बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
जोगिनि लट धोइ डारा हो तोरे जूड़ा बसै कारे नाग
कर कांपे कि लिखनी डुगे कि अंग अंग फहरायं
सुधि आवत छाती फटै कि लिखि पाती ना जाय
जोगिनि लट धोइ डारा हो तोरे जूड़ा बसै कारे नाग
जोगिनि लट धोइ डारा हो तोरे जूड़ा बसै कारे नाग
कर कांपे कि लिखनी डुगे कि अंग अंग फहरायं
सुधि आवत छाती फटै कि लिखि पाती ना जाय
जोगिनि लट धोइ डारा हो तोरे जूड़ा बसै कारे नाग