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13:50, 20 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
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<poem>
सदा भवानी दाहिनी ए साजन हों
अरे सन्मुख गोरि गनेश
पांच देव मिलि रक्षा करैं
कि ब्रम्हा विष्णु महेश
गंगा जी भुलानी अरे हां गंगा जी भुलानी
अरे जटन मां गंगा जी भुलानी
अरे धनि महिमा शिव तोरि
जटन मां गंगा जी भुलानी
</poem>