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09:06, 5 अप्रैल 2015 {{KKRachna
|रचनाकार=श्रीनाथ सिंह
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|संग्रह=
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<poem>
देखो क्या कहतीं हैं कलियाँ,
हर दम हँसो और मुस्काओ।
रहो सदा तुम सबके प्यारे,
सुन्दर पास पड़ोस बनाओ।
देखो क्या कहतीं हैं नदियाँ,
हर दम आगे बढ़ते जाओ।
शीतल करो सदा सब ही को,
सुन्दर पास पड़ोस बनाओ।
देखो क्या कहते तरु पौधे,
तुम ऊपर को उठते जाओ।
हरा भरा मन रक्खो अपना,
सुन्दर पास पड़ोस बनाओ।
देखो क्या कहता है दीपक,
अन्धकार से मत घबराओ।
जब तक दम में दम बाकी हो,
सुन्दर पास पड़ोस बनाओ।
</poem>