572 bytes added,
10:02, 4 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
जकै नै आपां
कीं नीं गिणता
कैवां कीड़वादो
बीं रै ताण ई
चुगीजै बगतसर
कपास
हुवै
कटाई-कढ़ाई
ओ नीं हुवै
तो न जाणै
कित्तो अन्न
रूळज्यै खूडां में।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader