Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
दो-तीन बिहारी भईया
ले आया है परिवार ई

जमा राख्या है- आछा काम-धंधा
आदमी तो आदमी है
सौ जिग्यां आवै-जावै
बगत कट ज्यावै

पण लुगायां ?

नीं किणी सूं जाण-पिछाण
नीं बोलण-बतलावण
जावै तो कठै जावै ?

देस, नातै-रिस्तां री
घणी ओळ्यूं आवै
पण बठै री भूख री ओळ्यूं
सो कीं बिसरावै।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits