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10:25, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
}}
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<poem>
उमर री
आधी’क पेड़ी ढळतां ई
छोड़ देंवता राजपाट
पैलड़ा राजा
का
खोस लेंवता
बं रा बेटा
पण आजकल
अै टूटेड़ै गोडांआळा
बोदा कलीर
धिकायां ई बगै
‘लोकराज ’ ।
</poem>
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