भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लोकराज: दो / निशान्त
Kavita Kosh से
उमर री
आधी’क पेड़ी ढळतां ई
छोड़ देंवता राजपाट
पैलड़ा राजा
का
खोस लेंवता
बं रा बेटा
पण आजकल
अै टूटेड़ै गोडांआळा
बोदा कलीर
धिकायां ई बगै
‘लोकराज ’ ।