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उनके ना तलवार है, ना भाला वन्दूकबन्दूकउन्हें निहत्था मत कहूकहो, उनके है सन्दूक ।।
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अब घर जाओ पाहुने, यह दुर्दिन का गाँव
यहाँ सुदामा हैं सभी , नहीं कृष्ण का ठाँव ।।
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