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कुछ दोहे / मानबहादुर सिंह
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15:32, 8 जुलाई 2015
'''4'''
उनके ना तलवार है, ना भाला
वन्दूक
बन्दूक
उन्हें निहत्था मत
कहू
कहो
, उनके है सन्दूक ।।
'''5'''
'''6'''
अब घर जाओ पाहुने, यह दुर्दिन का गाँव
यहाँ सुदामा हैं सभी
,
नहीं कृष्ण का ठाँव ।।
'''7'''
अनिल जनविजय
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