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आदमी की ज़रूरत / माशा कालेको

No change in size, 19:26, 13 जुलाई 2015
किसी को ज़रूरत होती है
एक आदमी कोकी
और वह बहुत ज़रूरी हो जाता है
'''रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
</poem>
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