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18:49, 2 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निरंकार देव सेवक
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>एक शहर है टिंबक-टू,
लोग वहाँ के हैं बुद्धू!
बिना बात के ही-ही-ही,
बिना बात के हू-हू-हू!
</poem>
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