भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ही-ही, हू-हू / निरंकार देव सेवक
Kavita Kosh से
एक शहर है टिंबक-टू,
लोग वहाँ के हैं बुद्धू!
बिना बात के ही-ही-ही,
बिना बात के हू-हू-हू!