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20:57, 3 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=चंद्रदत्त 'इंदु'
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|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>छोटा अन्ने, मीठे गन्ने
बड़े मजे से खाता,
कोई उससे गन्ना माँगे
उसको जीभ चिढ़ाता!
मम्मी बोली-‘अन्ने बेटा,
मुझको दे दो गन्ने!’
‘ये कड़वे हैं, तुम मत खाओ!’
झट से बोला अन्ने।
</poem>