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04:06, 4 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देवेंद्रकुमार
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>ताक धिना-धिन
ताल मिलाओ
हँसते जाओ,
गोरे - गोरे
थाल कटोरे
लो चमकाओ!
चकला - बेलन
मिलकर बेलें,
फूल - फुलकिया
अम्माँ मेरी
सेंक - सेंककर
खूब फुलाओ!
भैया आओ
अम्माँ को भी
यहाँ बुलाओ,
प्यारी अम्माँ
सबने खाया
अब तो खाओ!
</poem>