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04:58, 4 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मोक्ष गौड़
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|संग्रह=
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<poem>कितनी अच्छी मेरी अम्माँ,
सीधी-सच्ची मेरी अम्माँ।
बच्चों में मिलकर हो जाती-
बिल्कुल बच्ची मेरी अम्माँ।
मैं जल्दी सो जाऊँ, करती
माथा-पच्ची मेरी अम्माँ।
-साभार: आँख मिचौली, मोक्ष गौड़,8,11
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