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05:38, 5 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सरोजिनी प्रीतम
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|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बोल-बोल ओ गुड़िया गूँगी,
तुझको चंदा-तारे दूँगी।
दूल्हा होगा तेरा कैसा,
बिल्कुल उस चंदा के जैसा।
चंदा जैसा दूल्हा दूँगी,
बोल-बोल ओ गुड़िया गूँगी।
आँखें तो तू गोल घुमाती,
क्या कहती? कुछ ना बतलाती।
बार-बार मैं नहीं कहूँगी,
बोल-बोल ओ गुड़िया गूँगी।
</poem>