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ता-ता थैया / राजा चौरसिया

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<poem>एक चिरैया
है गौरेया,
खूब फुदकती
और चहकती,
उड़ती दिनभर
मगर न थकती,
गाए, नाचे
ता ता थैया!

कभी द्वार पर
कभी तार पर,
मन को रहती
नहीं हार कर,
जाती पनघट
ताल तलैया!

बड़ी सयानी
श्रम की रानी,
कभी न माँगे
दाना-पानी,
इसे निहारे
छोटा भैया!

जोड़े तिनका
अपने मन का,
लाड-प्यार
पाती जन-जन का,
उड़े फुर्र से
बैठ मड़ैया!
</poem>
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