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खेल कबड्डी / रामसेवक शर्मा

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<poem>देशी खेल हमारा-
खेल कबड्डी का
सबसे सस्ता प्यारा
खेल कबड्डी का।

महँगा क्रिकेट-साथी
टेनिस बल्ला है,
समझ नहीं आता क्यों
इतना हल्ला है।

बोल कबड्डी, बोल कबड्डी
बोलो भी
कितना दम खम है,
आपस में तोलो भी!

करें प्रदर्शन घेर
खिलाड़ी आते हैं,
दिल्ली की संसद में
माँग उठाते हैं।

सबको हो अनिवार्य
कबड्डी, क्या कहना,
मैच कबड्डी वाले
होते ही रहना।

-साभार: नंदन, जुलाई, 1996, 37
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