601 bytes added,
21:39, 6 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गंगासहाय 'प्रेमी'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>टिल्लू जी के हाथ पड़ गए
मम्मी के दस्ताने,
कुछ भी नहीं समझ में आया
घंटों खींचे-ताने।
पैरों में तो तंग एकदम
हाथों में थे ढीले,
और क्या करें, इसी सोच में
पड़े बिचारे पीले!
</poem>