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दो : पत्नी के लिए / धूमिल

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देह तो आत्मा तक जाने के लिए सुरंग है ।
::::::::रास्ता है ।
तुम्हारी उंगलियाँ जैसे कविता की
::::::गतिशील पंक्तियाँ हैं ।
तुम्हारी आँखें कविता की गम्भीर
तुम्हारा चेहरा
::::: जैसे कविता की
::::::ज़मीन है
तुम एक सुन्दर और सार्थक
:::::कविता हो मेरे लिए ।
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