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बच्ची की फरियाद / रंजना जायसवाल

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<poem>
‘मुझे इतनी जोर से प्यार मत करो अंकल
देखो तो, मेरे होठों से निकल आया है खून
मेरे पापा धीरे से चूमते हैं सिर्फ माथा’

‘मुझे मत मारो अंकल, दुखता है
मैं आपकी बेटी से भी छोटी हूं
क्या उसे भी मारते हैं इसी तरह
मेरे कपड़े मत उतारो अंकल
अभी नवरात्रि में
मुझे लाल चुनर ओढ़ाकर पूजा था न तुमने’

‘तुम्हें क्या चाहिए अंकल ले लो मेरी चेन
घड़ी टॉप्स पायल और चाहिए तो ला दूंगी
अपनी गुल्लक जिसमें ढेर सारे रुपये हैं
बचाया था अपनी गुड़िया की शादी के लिए
सब दे दूंगी तुम्हें’

‘अंकल अंकल ये सब मत करो
मां कहती है ये बुरा काम होता है
भगवान जी तुम्हें पाप दे देंगे
छोड़ो मुझे वरना भगवान जी को बुलाऊंगी
टीचर कहती है भगवान बच्चों की बात सुनते हैं’
अब बच्ची लगातार च़ीख रही थी
पर भगवान तो क्या
वहां कोई इन्सान भी न था!</poem>
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