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सहरा से जंगल में आकर छाँव में घुलती जाए धूप / ज़ाहिद अबरोल
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17:40, 17 अक्टूबर 2015
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[[Category:ग़ज़ल]]
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सहरा से जंगल में आकर छाँव में घुलती जाए धूप
अपनी हद से आगे बढ़ कर अपना आप गँवाए धूप
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द्विजेन्द्र 'द्विज'
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