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अतीत में बारिश / पारुल पुखराज

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खूब हुई बारिश
सोई रही वह
सोचते
हो रही है अतीत में बारिश

भीग रहा सहन
सहन में बिछौना
बिछौने पर
सपना

सोई थी वह
खूब बारिश के होने में
सोई ही रह जाती

कोई जो

डूबता बिछौना देख
न लगाता आवाज
दालान से
उसे
</Poem>
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