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10:38, 28 नवम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संजय पुरोहित
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>कुण हूं म्हैं
कांई है जीवण
कुण है करतार
म्हारा सवाल
खावै हा म्हनैं
मांय रा मांय
अर म्हैं
रैयौ भटकतौ
अर भाजतौ
इन्नै, बिन्नै
बिन्नै इन्नै
मून री रिंधरोई में
आकळ-बाकळ
सरणाटै सूं
उथपोळौ
पडूत्तर सोझतौ
नीतेज हुय‘र
लियो अंतस रो
आसरौ
तो आयो पडूत्तर
कवि है थूं
रचाव थारौ जीवण
अर
आखर थारौ करतार
</poem>