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पडूत्तर / संजय पुरोहित
Kavita Kosh से
कुण हूं म्हैं
कांई है जीवण
कुण है करतार
म्हारा सवाल
खावै हा म्हनैं
मांय रा मांय
अर म्हैं
रैयौ भटकतौ
अर भाजतौ
इन्नै, बिन्नै
बिन्नै इन्नै
मून री रिंधरोई में
आकळ-बाकळ
सरणाटै सूं
उथपोळौ
पडूत्तर सोझतौ
नीतेज हुय‘र
लियो अंतस रो
आसरौ
तो आयो पडूत्तर
कवि है थूं
रचाव थारौ जीवण
अर
आखर थारौ करतार