1,148 bytes added,
09:52, 13 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार रवींद्र
|अनुवादक=
|संग्रह=चेहरों के अन्तरीप / कुमार रवींद्र
}}
{{KKCatNavgeet}}
<poem>राजा ने बनवाये घाट नये
नदी बहुत दूर है
राजा फिर क्या करे
पान-फूल
राजा के बाग में
रानी के भाग में
बाकी सब खेत-पात
जलते हैं आग में
राक्षस जल पी गया
किस्सा मशहूर है
राजा फिर क्या करे
कानी गौरैया ने
बूंद-बूंद पानी की
चोरी की
परियों के टापू पर
आह बसी गोरी की
अंधे हैं कुएँ
और पनघट मजबूर हैं
राजा फिर क्या करे </poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader