Changes

हर पल है उम्मीद का / राग तेलंग

693 bytes added, 13:48, 19 दिसम्बर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राग तेलंग |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>रात क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>रात के बाद रात ही नहीं है
दिन के बाद जरुर है दूसरा दिन

कितना नया है सारा कुछ
आसपास कितना तो अनचीन्हा
कितने नए पत्ते-फूल हर बार
कितने तो आते वसंत

अगर बुलाया अभी तुमने मेघों को आकाष से
साथ तारे भी बूंद. बूंद झर पड़ेंगे ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits