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14:54, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>मुझे खुश होना था
सो मैं
एक मुस्कराते हुए
आदमी से जाकर मिला
उसकी मुस्कान के पास
कुछ देर ठहरकर
खुद को उसके भीतर की
खुशी में भिगोया और
एक दूसरे
आसमान पर जा पहुंचा
मेरी आंखें खुशी से भीगी हुई थीं
खुशी बूंद-बूंद
मुझमें से होकर टपक रही थी
सराबोर था इतना कि
बोल फूटते ही न थे
सोच रहा था
कहूं तो कैसे
कुछ न सूझा
सो मंद-मंद मुस्कराने लगा
इतने में
मेरे जैसा ही एक आदमी
मेरी मुस्कराहट के पास आकर खड़ा हो गया
अब मैं खुश होना
ज्यादा महसूस कर रहा था ।
</poem>
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