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खुश होना / राग तेलंग
Kavita Kosh से
मुझे खुश होना था
सो मैं
एक मुस्कराते हुए
आदमी से जाकर मिला
उसकी मुस्कान के पास
कुछ देर ठहरकर
खुद को उसके भीतर की
खुशी में भिगोया और
एक दूसरे
आसमान पर जा पहुंचा
मेरी आंखें खुशी से भीगी हुई थीं
खुशी बूंद-बूंद
मुझमें से होकर टपक रही थी
सराबोर था इतना कि
बोल फूटते ही न थे
सोच रहा था
कहूं तो कैसे
कुछ न सूझा
सो मंद-मंद मुस्कराने लगा
इतने में
मेरे जैसा ही एक आदमी
मेरी मुस्कराहट के पास आकर खड़ा हो गया
अब मैं खुश होना
ज्यादा महसूस कर रहा था ।