Changes

कमाल की औरतें ३८ / शैलजा पाठक

670 bytes added, 10:20, 20 दिसम्बर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलजा पाठक |अनुवादक= |संग्रह=मैं ए...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शैलजा पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक देह हूँ, फिर देहरी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatStreeVimarsh}}
<poem>चमचमाती थाली में
चेहरा देखा
और बुदबुदाई

तुम खामोश हो
हम कर दिए जाते हैं

थाली में उभरी एक जोड़ी
आंखें धुंधला गईं

मैंने सूखे कपड़े से गीली थालियों को
सुखा कर सजा दिया।</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits