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कमाल की औरतें ४ / शैलजा पाठक
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09:21, 21 दिसम्बर 2015
|रचनाकार=शैलजा पाठक
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मैं एक देह हूँ, फिर देहरी / शैलजा पाठक
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<poem>जब नदी के पास नहीं बचेगा पानी
चूल्हे में बुझी होगी बीते दिनों की आग
Anupama Pathak
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