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कमाल की औरतें १२ / शैलजा पाठक
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09:25, 21 दिसम्बर 2015
|रचनाकार=शैलजा पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=
मैं एक देह हूँ, फिर देहरी / शैलजा पाठक
}}
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भारी था तुम्हारी कलाई का गोदना
चमकती मछली रेत की नदी में घुल-घुल मरी
गांव में
जि़दा
ज़िन्दा
रही ये कहानी...।</poem>
Anupama Pathak
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