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19:14, 24 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>काट वो मेरी बात देता है.
दिल से पर मेरा साथ देता है.
रोज़ करता है मुझको मैसेज वो,
पर न हाथों में हाथ देता है.
क्या बताऊँ वो कितना अच्छा है,
अच्छे-अच्छों को मात देता है.
दिन वो दे चाहे बदलियों वाले,
मुझको पूनम की रात देता है.
जब भी लिखता हूँ उसको लिखता हूँ,
वो कलम वो दवात देता है.
</poem>