भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरा साथ देता है / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
काट वो मेरी बात देता है.
दिल से पर मेरा साथ देता है.
रोज़ करता है मुझको मैसेज वो,
पर न हाथों में हाथ देता है.
क्या बताऊँ वो कितना अच्छा है,
अच्छे-अच्छों को मात देता है.
दिन वो दे चाहे बदलियों वाले,
मुझको पूनम की रात देता है.
जब भी लिखता हूँ उसको लिखता हूँ,
वो कलम वो दवात देता है.