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|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
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<poem>बोलो क्या मुझसे प्यार करते हो.
इश्क पर ऐतबार करते हो.

दोस्त,परिचित,अजीज़ या अपने,
मुझको किसमें शुमार करते हो.

इक न इक वादा रोज़ करके तुम,
खुद पे कितना उधार करते हो.

जिसके बारे में खाते हो कसमें,
वो ही क्यों बार-बार करते हो.

यों ही मैं बेक़रार हूँ कितना,
और क्यों बेक़रार करते हो.

मानता हूँ कि पाक दामन हो,
आज क्यों दागदार करते हो.
</poem>
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