भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुझसे प्यार करते हो / कमलेश द्विवेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बोलो क्या मुझसे प्यार करते हो.
इश्क पर ऐतबार करते हो.

दोस्त,परिचित,अजीज़ या अपने,
मुझको किसमें शुमार करते हो.

इक न इक वादा रोज़ करके तुम,
खुद पे कितना उधार करते हो.

जिसके बारे में खाते हो कसमें,
वो ही क्यों बार-बार करते हो.

यों ही मैं बेक़रार हूँ कितना,
और क्यों बेक़रार करते हो.

मानता हूँ कि पाक दामन हो,
आज क्यों दागदार करते हो.