851 bytes added,
03:48, 25 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>दिल की बातें दिल तक पहुँचें.
यानी वो मंज़िल तक पहुँचें.
दरिया में जो साथ हमारे,
सब के सब साहिल तक पहुँचें.
क़त्ल हुए हैं ख्वाब किसी के,
कैसे हम क़ातिल तक पहुँचें.
जिनकी राह निहारे महफ़िल,
वो भी तो महफ़िल तक पहुँचें.
आसानी से हल कर लें हम,
मसले क्यों मुश्किल तक पहुँचें.
</poem>