1,020 bytes added,
03:59, 25 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>मुझसे दूरी यार न करना.
मेरे दिल पर वार न करना.
दिल में कुछ भी रखना लेकिन,
होठों से इनकार न करना.
दिल के बदले दर्द मिले तो,
दिल का कारोबार न करना.
साहिल तक लाकर कहते हो-
देखो,दरिया पर न करना.
लाख गुज़रना बाज़ारों से,
पर ख़ुद को बाज़ार न करना.
काँटों से डरते हो इतना,
तुम फूलों से प्यार न करना.
आज नहीं तो कल जीतोगे
हार कभी स्वीकार न करना.
</poem>