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हार कभी स्वीकार न करना / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
मुझसे दूरी यार न करना.
मेरे दिल पर वार न करना.
दिल में कुछ भी रखना लेकिन,
होठों से इनकार न करना.
दिल के बदले दर्द मिले तो,
दिल का कारोबार न करना.
साहिल तक लाकर कहते हो-
देखो,दरिया पर न करना.
लाख गुज़रना बाज़ारों से,
पर ख़ुद को बाज़ार न करना.
काँटों से डरते हो इतना,
तुम फूलों से प्यार न करना.
आज नहीं तो कल जीतोगे
हार कभी स्वीकार न करना.