1,212 bytes added,
04:21, 25 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>मेरा दिल दीवाना गाये.
गाये प्रेम तराना गाये.
अफ़साना लिख जाये कोई,
फिर कोई अफ़साना गाये.
उसके गीत सुनूँ तो लगता-
स्वर जाना-पहचाना गाये.
संग शमा के जलते-जलते,
जाने क्या परवाना गाये.
तीर चले नैनों के जब-जब,
घायल हो दीवाना गाये.
गाते-गाते वो शर्माये,
तो उसका शर्माना गाये.
प्यार भरा प्याला जो पी ले,
जीवन भर मस्ताना गाये.
जो-जो रास रचाये उसने,
वृन्दावन-बरसाना गाये.
मेरी गज़लें ऐसी ग़ज़लें,
मेरे साथ ज़माना गाये.
</poem>