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13:03, 22 जनवरी 2016 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=देवकी दर्पण ‘रसराज’
|संग्रह= मंडाण / नीरज दइया
}}
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<poem>
जो लड़ोकड़ो
दांत्या करबाळो
पण
पीसा हाळो
सेठ छै
उंकी
थाणा सूं लेय’र
मंतरी-संतरी
तांई पैठ छै।
</poem>
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